Wednesday, December 05, 2018

फिर भी ग़ाफ़िल मेरे सर इल्ज़ाम आया

बारहा होंटों पे तेरा नाम आया
टोटका ये भी कुछ अपने काम आया

आ गईं ख़ुशियाँ जहाँ की मेरे हिस्से
जब तसव्वुर में मेरा गुलफ़ाम आया

आ नहीं सकता था मेरा जिस्म लेकिन
जी मेरा सू तेरे सुब्हो शाम आया

है नहीं जिसको सलीक़ा मैक़दे का
जाने क्यूँ उसके ही नामे जाम आया

गो किया तूने ही था इज़्हारे उल्फ़त
फिर भी ग़ाफ़िल मेरे सर इल्ज़ाम आया

-‘ग़ाफ़िल’

1 comment:

  1. बहुत अच्छा लिखा है। ऐसे ही लिखते रहिए। हिंदी में कुछ रोचक ख़बरें पड़ने के लिए आप Top Fibe पर भी विजिट कर सकते हैं

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