Thursday, March 19, 2020

के आप आ मिलोगे किसी रास्ते पर

मनेगी ख़ुशी आज यह मैक़दे पर
न आना था उनको जनाब आ गए पर

जो कुछ देखने सा हो उसको भले ही
नहीं देखने का हो जी देखिए पर

कहाँ जा सके जिस जगह लोग बोले
जहाँ थी मनाही वहाँ हम गए पर

है दानाई तो है मुनासिब के सोचें
न रोना पड़े ताके अपने किए पर

हुज़ूर अपनी ज़ीनत का क्या कीजिएगा
लगी हैं जो पाबंदियाँ देखने पर

बस इस ही सबब हम नहीं थम रहे हैं
के आप आ मिलोगे किसी रास्ते पर

था उल्फ़त का वह और ही दौर ग़ाफ़िल
हुए थे फ़िदा हम भी जब आईने पर

-‘ग़ाफ़िल’

4 comments:

  1. मुजुदा हालात से निकली ये गजल लाजवाब है.
    नई रचना- सर्वोपरि?

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति

    Mere blog par aapka swagat hai.....

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  3. बहुत शानदार सर ,हमेशा की तरह

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