Saturday, July 18, 2020

मेरे ग़ाफ़िल से मुझे प्यार हुआ जाता है

तू तो अब ख़्वाबों के भी पार हुआ जाता है
बोल क्या ऐसे भी लाचार हुआ जाता है

सोचा है जबसे के अब कुछ तो हो शिक़्वा तुझसे
जी मेरा मुझसे ही दो चार हुआ जाता है

उम्र कैद ऐसे तो हो पाई नहीं है ये कसक
हाँ तेरे इश्क़ में अब दार हुआ जाता है

होश गुम तेरे हैं इज़्हारे मुहब्बत पे मेरे
देखता हूँ के तू बीमार हुआ जाता है

तू भी कह लेता मगर कह न सका यार के अब
मेरे ग़ाफ़िल से मुझे प्यार हुआ जाता है

-‘ग़ाफ़िल’

5 comments:

  1. Very good post...
    Welcome to my blog.....

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  2. ......

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 22 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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