जी का दुखना मैंने माना होता है
पर सच है क्या प्यार दीवाना होता है
दिखता नहीं है चाँद आजकल अब उसका
किस कूचे में आना जाना होता है
अक़्सर पाता हूँ मैं, राहे उल्फ़त में
उसका बोझ और अपना शाना होता है
इश्क़ में शिक़्वे बाइस हैं रुस्वाई के
अपने दम पे नाम कमाना होता है
ग़ाफ़िल और अब कितनी आवारागर्दी?
अब्रों का भी एक ठिकाना होता है
-‘ग़ाफ़िल’
पर सच है क्या प्यार दीवाना होता है
दिखता नहीं है चाँद आजकल अब उसका
किस कूचे में आना जाना होता है
अक़्सर पाता हूँ मैं, राहे उल्फ़त में
उसका बोझ और अपना शाना होता है
इश्क़ में शिक़्वे बाइस हैं रुस्वाई के
अपने दम पे नाम कमाना होता है
ग़ाफ़िल और अब कितनी आवारागर्दी?
अब्रों का भी एक ठिकाना होता है
-‘ग़ाफ़िल’
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