Monday, December 03, 2018

जो कल थी वही आज है ज़िन्दगी

बड़ी ही कलाबाज है ज़िन्दगी
नुमा तो है पर राज़ है जिन्दगी

अजल तू है मंज़िल ये सच है मगर
कहाँ तेरी मुह्ताज़ है ज़िन्दगी

है बदला ज़ुरूर आज अंदाज़ पर
जो कल थी वही आज है ज़िन्दगी

मुझे नाज़ फिर भी है उस पर बहुत
भले ही दगाबाज है ज़िन्दगी

हक़ीक़त यही है के है ख़ुशनुमा
हुआ क्या जो नासाज है ज़िन्दगी

कोई सुन ले कोई नहीं सुन सके
कुछ ऐसी ही आवाज़ है ज़िन्दगी

जो ग़ाफ़िल हो ख़ुद से कुछ इस तर्ह के
परिंदे की परवाज़ है ज़िन्दगी

-‘ग़ाफ़िल’

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