क्यूँ क़लम करने को आमादा हो मेरा सर, सभी
हो गये कितने मुख़ालिफ़ आजके मंज़र सभी
इस गली से उस गली तक के निशाँ मेरे ही हैं
घिस गये चलने से मेरे राह के पत्थर सभी
क्यूँ भला, जो एक शम्अ जल उठी तो ख़ुद-ब-ख़ुद
जल रहे आकर उसी में पास के अख़्गर सभी
आप मानें या न मानें ख़ासियत कुछ है ज़ुरूर
वर्ना क्यूँ तारीफ़ करते आपकी अक्सर सभी
शे'र मेरे अब तलक बेकार थे बर्बाद थे
आपके होंटों को छूकर हो गये बेहतर सभी
जीत जाएँगे यक़ीनन शक नहीं ग़ाफ़िल ज़रा
हार कर पहले दिखाएँ आशिक़ी में पर सभी
अख़्गर=पतिंगा
-‘ग़ाफ़िल’
हो गये कितने मुख़ालिफ़ आजके मंज़र सभी
इस गली से उस गली तक के निशाँ मेरे ही हैं
घिस गये चलने से मेरे राह के पत्थर सभी
क्यूँ भला, जो एक शम्अ जल उठी तो ख़ुद-ब-ख़ुद
जल रहे आकर उसी में पास के अख़्गर सभी
आप मानें या न मानें ख़ासियत कुछ है ज़ुरूर
वर्ना क्यूँ तारीफ़ करते आपकी अक्सर सभी
शे'र मेरे अब तलक बेकार थे बर्बाद थे
आपके होंटों को छूकर हो गये बेहतर सभी
जीत जाएँगे यक़ीनन शक नहीं ग़ाफ़िल ज़रा
हार कर पहले दिखाएँ आशिक़ी में पर सभी
अख़्गर=पतिंगा
-‘ग़ाफ़िल’
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.12.2015) को " लक्ष्य ही जीवन का प्राण है" (चर्चा -2187) पर लिंक की गयी है कृपया पधारे। वहाँ आपका स्वागत है, सादर धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteHappy Republic Day 2016
ReplyDeleterepublic day essay
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