जो फोड़े भार इक ऐसा चना अब हम उगाएँगे
तमाशा जो नहीं अब तक हुआ हम कर दिखाएँगे
चलो अच्छा हुआ जो आपने वादा न फ़र्माया
नहीं हम सोचते रहते के अच्छे दिन भी आएँगे
-‘ग़ाफ़िल’
तमाशा जो नहीं अब तक हुआ हम कर दिखाएँगे
चलो अच्छा हुआ जो आपने वादा न फ़र्माया
नहीं हम सोचते रहते के अच्छे दिन भी आएँगे
-‘ग़ाफ़िल’
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-12-2015) को "सुबह का इंतज़ार" (चर्चा अंक-2195) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'