हैं उनके होंठ चुप, वे बोलते हैं
न यह पूछो के कैसे बोलते हैं
नहीं सुन पाओगे तुम देख तो लो
इशारे किस तरह से बोलते हैं
मुहब्बत शै बुरी है बाज़ आओ
यूँ हर उल्फ़त के मारे बोलते हैं
विसाले शब, सुना है तुमने भी क्या
हो ख़ामोशी तो शिक़्वे बोलते हैं
जगाने के सबब लोगों को यारो!
कहाँ अब सुब्ह मुर्गे बोलते हैं
मिले उनको भी हाँ कहने का मौक़ा
नहीं ही जो बेचारे बोलते हैं
तू ग़ाफ़िल था, है, आगे भी रहेगा
भला क्यूँ लोग ऐसे बोलते हैं
-‘ग़ाफ़िल’
न यह पूछो के कैसे बोलते हैं
नहीं सुन पाओगे तुम देख तो लो
इशारे किस तरह से बोलते हैं
मुहब्बत शै बुरी है बाज़ आओ
यूँ हर उल्फ़त के मारे बोलते हैं
विसाले शब, सुना है तुमने भी क्या
हो ख़ामोशी तो शिक़्वे बोलते हैं
जगाने के सबब लोगों को यारो!
कहाँ अब सुब्ह मुर्गे बोलते हैं
मिले उनको भी हाँ कहने का मौक़ा
नहीं ही जो बेचारे बोलते हैं
तू ग़ाफ़िल था, है, आगे भी रहेगा
भला क्यूँ लोग ऐसे बोलते हैं
-‘ग़ाफ़िल’
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