जी! हौसले हमारे पूरे शबाब पर हैं
डूबेंगे हम न हर्गिज़ माना के आब पर हैं
हमको पता है क्या है अंज़ाम होने वाला
फिर भी हमारी नज़रें अब आफ़ताब पर हैं
हम मह्वेख़्वाब को हो क्यूँ नींद से जगाते
सब रोज़गार अपने चलते ही ख़्वाब पर हैं
गोया कभी भी हमने उनको नहीं बुलाया
दिल में हमारे अक़्सर आए जनाब पर हैं
अच्छे गुलाब हैं पर ग़ाफ़िल जी क्या करोगे
उनका भला जो सारे काँटे गुलाब पर हैं
-‘ग़ाफ़िल’
डूबेंगे हम न हर्गिज़ माना के आब पर हैं
हमको पता है क्या है अंज़ाम होने वाला
फिर भी हमारी नज़रें अब आफ़ताब पर हैं
हम मह्वेख़्वाब को हो क्यूँ नींद से जगाते
सब रोज़गार अपने चलते ही ख़्वाब पर हैं
गोया कभी भी हमने उनको नहीं बुलाया
दिल में हमारे अक़्सर आए जनाब पर हैं
अच्छे गुलाब हैं पर ग़ाफ़िल जी क्या करोगे
उनका भला जो सारे काँटे गुलाब पर हैं
-‘ग़ाफ़िल’
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