मत पूछिए के इश्क़ में लाचार कौन है
यह देखिए के अस्ल गुनहगार कौन है
गोया के चारसू है गुलों की जमात पर
चुभता है मेरे जी में वो जो ख़ार, कौन है
अब तक न जान पाया के दर्या-ए-इश्क़ में
मुझको डुबा दिया जो मेरा यार, कौन है
होता है इश्क़ ख़ुश हो जब अपना दिलो दिमाग़
उल्फ़त के कारोबार में बीमार कौन है
दिखता नहीं है वैसे जो महसूस हो रहा
ग़ाफ़िल जी बादलों के भला पार कौन है
-‘ग़ाफ़िल’
यह देखिए के अस्ल गुनहगार कौन है
गोया के चारसू है गुलों की जमात पर
चुभता है मेरे जी में वो जो ख़ार, कौन है
अब तक न जान पाया के दर्या-ए-इश्क़ में
मुझको डुबा दिया जो मेरा यार, कौन है
होता है इश्क़ ख़ुश हो जब अपना दिलो दिमाग़
उल्फ़त के कारोबार में बीमार कौन है
दिखता नहीं है वैसे जो महसूस हो रहा
ग़ाफ़िल जी बादलों के भला पार कौन है
-‘ग़ाफ़िल’
शुक्रिया शास्त्री जी
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 15 जनवरी 2020 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
बहुत ही आला ग़ाफ़िल साहब !
ReplyDeleteवाह !
क्या कहने !
बहुत ही उम्दा सृजन।
ReplyDelete