Saturday, January 25, 2020

ग़म थे जो रक़म हुए

आदाब दोस्तो!

क्या करें भी याद कर यह के दौरे इश्क़ में
हमपे क्या सितम हुए और क्या क़रम हुए
बस उसी ही नाज़ से आज भी रहे सता
हिज्र वाली रात में ग़म थे जो रक़म हुए

-‘ग़ाफ़िल’

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