Wednesday, January 22, 2020

आगे जी में थी अब तो जी पर है

गोया इल्ज़ाम क़त्ल का सर है
मेरे हिस्से में आबरू पर है

हैं सभी दिल से मेरे वाबस्ता
कोई अन्दर तो कोई बाहर है

इश्क़ अगर है तो यह भरम ही क्यूँ
के जो जीता वही सिकन्दर है

मुस्कुराऊँ भी तो कहा जाए
तेरी ग़ल्ती यहाँ सरासर है

ग़ाफ़िल उल्फ़त का ज़िक़्र ही मत कर
आगे जी में थी अब तो जी पर है

-‘ग़ाफ़िल’

No comments:

Post a Comment