क्या ज़रर होता है और कैसा नफ़ा होता है
दिल लगाया है फ़क़त ये ही पता होता है
कर दिया मैंने भी आग़ाज़ मगर बतलाओ
प्यार के खेल में क्या और भला होता है
तब तो महसूस करे मेरी ये सीने की जलन
जब मेरा यार रक़ीबों से अदा होता है
मुझको रास आ तो रहा इश्क़ मगर जाने क्यूँ
लोग कहते हैं के अंज़ाम बुरा होता है
क्या ग़ज़ब है के हँसी ही है मसख़रे का नसीब
ग़म जता दे ये कहाँ उसको बदा होता है
होगा ऐसा ही, कहें लोग जो ग़ाफ़िल तेरा
शे’र हर एक गुलाबों सा खिला होता है
-‘ग़ाफ़िल’
दिल लगाया है फ़क़त ये ही पता होता है
कर दिया मैंने भी आग़ाज़ मगर बतलाओ
प्यार के खेल में क्या और भला होता है
तब तो महसूस करे मेरी ये सीने की जलन
जब मेरा यार रक़ीबों से अदा होता है
मुझको रास आ तो रहा इश्क़ मगर जाने क्यूँ
लोग कहते हैं के अंज़ाम बुरा होता है
क्या ग़ज़ब है के हँसी ही है मसख़रे का नसीब
ग़म जता दे ये कहाँ उसको बदा होता है
होगा ऐसा ही, कहें लोग जो ग़ाफ़िल तेरा
शे’र हर एक गुलाबों सा खिला होता है
-‘ग़ाफ़िल’
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