हैं आज के यही सब मेरे गढ़े नमूने
पढ़ करके इनको चाहे कोई हँसे या रोए
ये सर्दियों का मौसम फ़ुर्क़त की लम्बी रातें
कटतीं नहीं हैं गर तो मेरी ग़ज़ल ही गा ले!
बादल गरज रहे हैं बिजली चमक रही है
बारिश शुरू हो इससे पहले ही घर तो कर ले!
भीगी हुई ये बिल्ली कैसे रही है गुर्रा
है ख़ैरियत इसी में कोई इसे भगा दे
ये जिन्न इश्क़ वाला है शोख़ और नाज़ुक
जो चाहे जब भी इसको बोतल में बंद कर ले
आए जनाब तब जब बाज़ार उठ चुकी है
वो मोल कर हैं निकले हैं जब दीवाले
क्या सोचता है ग़ाफ़िल के ये है इक करिश्मा
ज़र्रे यहाँ सभी तो हैं ठोकरों पे पलते
-‘ग़ाफ़िल’
पढ़ करके इनको चाहे कोई हँसे या रोए
ये सर्दियों का मौसम फ़ुर्क़त की लम्बी रातें
कटतीं नहीं हैं गर तो मेरी ग़ज़ल ही गा ले!
बादल गरज रहे हैं बिजली चमक रही है
बारिश शुरू हो इससे पहले ही घर तो कर ले!
भीगी हुई ये बिल्ली कैसे रही है गुर्रा
है ख़ैरियत इसी में कोई इसे भगा दे
ये जिन्न इश्क़ वाला है शोख़ और नाज़ुक
जो चाहे जब भी इसको बोतल में बंद कर ले
आए जनाब तब जब बाज़ार उठ चुकी है
वो मोल कर हैं निकले हैं जब दीवाले
क्या सोचता है ग़ाफ़िल के ये है इक करिश्मा
ज़र्रे यहाँ सभी तो हैं ठोकरों पे पलते
-‘ग़ाफ़िल’
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