नहीं पूछूँगा ये क्या हो रहा है
यहाँ जो भी तमाशा हो रहा है
मुझे उस होने से है इत्तेफ़ाक़
तेरे जी में जो जैसा हो रहा है
पता कैसे चलेगा यह के मेरा
नहीं तू हो रहा या हो रहा है
रहा जो ग़म का बाइस आज वो ही
सुक़ूने जी का ज़रिया हो रहा है
तेरे इस शह्र में गुर्दा जिगर क्या
यहाँ दिल का भी सौदा हो रहा है
गो है ग़ाफ़िल शराबे चश्म मुझसे
मगर फिर भी नशा सा हो रहा है
-‘ग़ाफ़िल’
यहाँ जो भी तमाशा हो रहा है
मुझे उस होने से है इत्तेफ़ाक़
तेरे जी में जो जैसा हो रहा है
पता कैसे चलेगा यह के मेरा
नहीं तू हो रहा या हो रहा है
रहा जो ग़म का बाइस आज वो ही
सुक़ूने जी का ज़रिया हो रहा है
तेरे इस शह्र में गुर्दा जिगर क्या
यहाँ दिल का भी सौदा हो रहा है
गो है ग़ाफ़िल शराबे चश्म मुझसे
मगर फिर भी नशा सा हो रहा है
-‘ग़ाफ़िल’
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