इस नशेमन का यह सलीका है
कोई आता है कोई जाता है
आदमी छोड़ दे बस अपना ग़ुरूर
देख लेना के फिर वो क्या क्या है
क्या समझ कर हो लादे फिरते जनाब!
यह तो अरमानों का जनाज़ा है
ऐंठे रहते हो आपका भी मिज़ाज
मान लूँ क्या के हुस्न जैसा है
टूटने से बचोगे झुककर ही
आँधियों में शजर से सीखा है
बस पिलाते ही जाओ आँखों से जाम
यह न पूछो के और पीना है?
है जो ग़ाफ़िल दिलों का साथ हुज़ूम
इनको लूटा है या के पाया है
-‘ग़ाफ़िल’
कोई आता है कोई जाता है
आदमी छोड़ दे बस अपना ग़ुरूर
देख लेना के फिर वो क्या क्या है
क्या समझ कर हो लादे फिरते जनाब!
यह तो अरमानों का जनाज़ा है
ऐंठे रहते हो आपका भी मिज़ाज
मान लूँ क्या के हुस्न जैसा है
टूटने से बचोगे झुककर ही
आँधियों में शजर से सीखा है
बस पिलाते ही जाओ आँखों से जाम
यह न पूछो के और पीना है?
है जो ग़ाफ़िल दिलों का साथ हुज़ूम
इनको लूटा है या के पाया है
-‘ग़ाफ़िल’
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