न कहना यह के यार ऐसा नहीं था
किया हमने जो था धोखा नहीं था
तुझे तो बारहा हम जानते हैं
तू रुस्वा था तो पर इतना नहीं था
भले खोटा हो लेकिन चल न पाए
यूँ कल तो एक भी सिक्का नहीं था
थीं गो बेबाकियाँ रिश्तों में फिर भी
कोई नासूर दिखलाता नहीं था
बिका तो कल भी था ग़ाफ़िल कुछ ऐसे
मगर कल आज सा सस्ता नहीं था
-‘ग़ाफ़िल’
किया हमने जो था धोखा नहीं था
तुझे तो बारहा हम जानते हैं
तू रुस्वा था तो पर इतना नहीं था
भले खोटा हो लेकिन चल न पाए
यूँ कल तो एक भी सिक्का नहीं था
थीं गो बेबाकियाँ रिश्तों में फिर भी
कोई नासूर दिखलाता नहीं था
बिका तो कल भी था ग़ाफ़िल कुछ ऐसे
मगर कल आज सा सस्ता नहीं था
-‘ग़ाफ़िल’
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 13दिसंबर2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteबिका तो कल भी था ग़ाफ़िल कुछ ऐसे
ReplyDeleteमगर कल आज सा सस्ता नहीं था
बहुत सुंदर
शुक्रिया नीतू जी
Deleteधन्यवाद
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