हम उल्फ़त में साथ आपका चाहते थे
बता दीजिए आप क्या चाहते थे
नहीं गो है मुम्क़िन मगर हर्ज़ क्या था
जो हिज्रत भी हम ख़ुशनुमा चाहते थे
मिलीं हमको रुस्वाइयाँ जबके हम तो
हुज़ूर आपसे राबिता चाहते थे
हमें देखकर क्यूँ उठे बज़्म से सब
वही जो हमें देखना चाहते थे
उन्हें भी तो हम रास आते नहीं अब
जो हमसा ही ग़ाफ़िल हुआ चाहते थे
-‘ग़ाफ़िल’
बता दीजिए आप क्या चाहते थे
नहीं गो है मुम्क़िन मगर हर्ज़ क्या था
जो हिज्रत भी हम ख़ुशनुमा चाहते थे
मिलीं हमको रुस्वाइयाँ जबके हम तो
हुज़ूर आपसे राबिता चाहते थे
हमें देखकर क्यूँ उठे बज़्म से सब
वही जो हमें देखना चाहते थे
उन्हें भी तो हम रास आते नहीं अब
जो हमसा ही ग़ाफ़िल हुआ चाहते थे
-‘ग़ाफ़िल’
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