भले कुछ हैं जो भरमाया करेंगे
मुसाफ़िर मंज़िलें पाया करेंगे
हम उश्शाक़ों का फिर होगा भला क्या
अगर आप ऐसे बिसराया करेंगे
तसव्वुर क्या जहाँ जब आप चाहें
इशारा हो हम आ जाया करेंगे
क़रार आए करेंगे क्या कुछ ऐसा
के आप ऐसे ही मुस्काया करेंगे
न आए वो किया क्या जाए ग़ाफ़िल
जो कहते थे के हम आया करेंगे
-'ग़ाफ़िल'
मुसाफ़िर मंज़िलें पाया करेंगे
हम उश्शाक़ों का फिर होगा भला क्या
अगर आप ऐसे बिसराया करेंगे
तसव्वुर क्या जहाँ जब आप चाहें
इशारा हो हम आ जाया करेंगे
क़रार आए करेंगे क्या कुछ ऐसा
के आप ऐसे ही मुस्काया करेंगे
न आए वो किया क्या जाए ग़ाफ़िल
जो कहते थे के हम आया करेंगे
-'ग़ाफ़िल'
निमंत्रण विशेष :
ReplyDeleteहमारे कल के ( साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक 'सोमवार' १० सितंबर २०१८ ) अतिथि रचनाकारआदरणीय "विश्वमोहन'' जी जिनकी इस विशेष रचना 'साहित्यिक-डाकजनी' के आह्वाहन पर इस वैचारिक मंथन भरे अंक का सृजन संभव हो सका।
यह वैचारिक मंथन हम सभी ब्लॉगजगत के रचनाकारों हेतु अतिआवश्यक है। मेरा आपसब से आग्रह है कि उक्त तिथि पर मंच पर आएं और अपने अनमोल विचार हिंदी साहित्य जगत के उत्थान हेतु रखें !
'लोकतंत्र' संवाद मंच साहित्य जगत के ऐसे तमाम सजग व्यक्तित्व को कोटि-कोटि नमन करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/