साहिल हैं आपके ही दर्या है आप ही का
सैलाबो मौज सारा जलसा है आप ही का
मेरा के आपका है ये है सवाल ही क्यूँ
हूँ मैं जब आपका तो मेरा है आप ही का
कैसे लगाई आतिश कितने जलाए जज़्बे
जो सुन रहे हो मुझसे किस्सा है आप ही का
कर लीजिए गुलाबी कालिख के पोत लीजे
हैं रंग आपके ही चेहरा है आप ही का
रुस्वाइयों से आख़िर ग़ाफ़िल जी उज़्र क्यूँ है
चर्चा भी तो ज़ियादः होता है आप ही का
-‘ग़ाफ़िल’
सैलाबो मौज सारा जलसा है आप ही का
मेरा के आपका है ये है सवाल ही क्यूँ
हूँ मैं जब आपका तो मेरा है आप ही का
कैसे लगाई आतिश कितने जलाए जज़्बे
जो सुन रहे हो मुझसे किस्सा है आप ही का
कर लीजिए गुलाबी कालिख के पोत लीजे
हैं रंग आपके ही चेहरा है आप ही का
रुस्वाइयों से आख़िर ग़ाफ़िल जी उज़्र क्यूँ है
चर्चा भी तो ज़ियादः होता है आप ही का
-‘ग़ाफ़िल’
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