बातें ज़ेह्न की हों के जिगर की लुत्फ़ हो जिसमें पूछो सब
इस दुनिया से उस दुनिया तक अपना आना जाना है
जी कुछ और तो दस्तो पा करते रहते हैं और ही कुछ
ग़ाफ़िल जी ऐसे भी जो देखो हर कोई बेगाना है
-‘ग़ाफ़िल’
इस दुनिया से उस दुनिया तक अपना आना जाना है
जी कुछ और तो दस्तो पा करते रहते हैं और ही कुछ
ग़ाफ़िल जी ऐसे भी जो देखो हर कोई बेगाना है
-‘ग़ाफ़िल’
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (29-04-2019) को "झूठा है तेरा वादा! वादा तेरा वादा" (चर्चा अंक-3320) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'