Tuesday, July 23, 2019

🌙

इसके भी हाथ में उसकी भी छत पर चलता फिरता रहता चाँद
इश्क़ ने कितना चाँद रचा है सबका अपना अपना चाँद

-‘ग़ाफ़िल’

No comments:

Post a Comment