Friday, March 03, 2017

हम बोलेन तौ मुँह लटकाए बइठे हो

पता है का का पीये खाये बइठे हो
यही बदे का यार लजाए बइठे हो

कहै पियक्कड़ दुनिया तौ फिर ठीक अहै
हम बोलेन तौ मुँह लटकाए बइठे हो

इश्क़ जौ करबो तौ कुछ होइहैं रक़ीब भी
आपन दुसमन आप बनाए बइठे हो

दिल दरिया से किहे किनारा हौ तुम और
आँख से मै कै आस लगाए बइठे हो

अच्छा ख़ासा रहेव बियाहे के पहिले
अब जइसै थप्पड़ जड़वाए बइठे हो

होस मा होतेव प्यार केर बातें होतीं
हमैं देखि कै होस गँवाए बइठे हो

ग़ाफ़िल जी मुस्कानौ तुम्हरी है जइसै
चेहरे पै चेहरा चिपकाए बइठे हो

-‘ग़ाफ़िल’

No comments:

Post a Comment