Thursday, September 27, 2018

मत निगाहों से ही खँगाल मुझे

न दिखा ऐसे फूले गाल मुझे
दिल से दे तूू भले निकाल मुझे

तू तग़ाफ़ुल करे है पर कुछ और
चाहिए तो था देखभाल मुझे

तेरे काम आएँ तेरे हाथ भी कुछ
मत निगाहों से ही खँगाल मुझे

है गिरा तू ख़ुद अपनी मर्ज़ी से फिर
क्यूँ ये कहना के आ सँभाल मुझे

पेश हैं अपने पुरख़तर अश्आर
कहके ग़ाफ़िल न आज टाल मुझे

-‘ग़ाफ़िल’

1 comment:

  1. तेरे काम आये तेरे हाथ भी कुछ
    उत्तम. वाह
    रंगसाज़

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