Monday, April 22, 2019

बस तुझसे कभी प्यार का चर्चा नहीं होता

इश्क़ इस भी क़दर दोस्तो रुस्वा नहीं होता
आँखों पे ज़माने के जो पर्दा नहीं होता

दुनिया से हम उश्शाक़ जो पा जाते हक़ अपने
होता तो बहुत कुछ हाँ तमाशा नहीं होता

आया था तो कर लेता हमेशा के लिए घर
इक बार भी या दिल में तू आया नहीं होता

हो जाती हैं वर्ना तो हर इक तर्ह की बातें
बस तुझसे कभी प्यार का चर्चा नहीं होता

मिल जाता जो धोखे से ही ग़ाफ़िल से कभी तू
दावा है के फिर देखता क्या क्या नहीं होता

-‘ग़ाफ़िल’

No comments:

Post a Comment