Saturday, July 13, 2019

हाँ हूँ मैं शाद मुझे क्या ग़म है
आँख नम है तो मगर कम कम है
ढलकी रुख़सार पे फिर अश्क की बूँद
उट्ठा फिर ग़ुल के यही शबनम है

-‘ग़ाफ़िल’
(चित्र गूगल से साभार)

No comments:

Post a Comment