हो लगा तड़का अगर तकरार का
ख़ूबसूरत है फ़साना प्यार का
आँधियों में जब उड़ा पत्ता वो ज़र्द
सब कहे जाने दो है बेकार का
जाने दो जो वे तगाफ़ुल कर रहे
होगा ये उनका तरीक़ा प्यार का
क़त्ल करना माना तेरा है शग़ल
हाल भी पर ले दिले बीमार का
देखते जिसको अघाता मैं नहीं
ऐसा ही चेहरा है मेरे यार का
कौन से रँग में रँगा था तूने रब
रंग अब क्या है तेरे संसार का
लुत्फ़ उल्फ़त का न गुम हो इसलिए
लेते रह थोड़ा मज़ा इन्कार का
ठीक है फूलों भरी हो राह पर
मर्तबा कमतर नहीं है ख़ार का
हौसिला तो दे ख़ुदा ग़ाफ़िल को अब
नाज़नीं से इश्क़ के इज़हार का
-‘ग़ाफ़िल’
ख़ूबसूरत है फ़साना प्यार का
आँधियों में जब उड़ा पत्ता वो ज़र्द
सब कहे जाने दो है बेकार का
जाने दो जो वे तगाफ़ुल कर रहे
होगा ये उनका तरीक़ा प्यार का
क़त्ल करना माना तेरा है शग़ल
हाल भी पर ले दिले बीमार का
देखते जिसको अघाता मैं नहीं
ऐसा ही चेहरा है मेरे यार का
कौन से रँग में रँगा था तूने रब
रंग अब क्या है तेरे संसार का
लुत्फ़ उल्फ़त का न गुम हो इसलिए
लेते रह थोड़ा मज़ा इन्कार का
ठीक है फूलों भरी हो राह पर
मर्तबा कमतर नहीं है ख़ार का
हौसिला तो दे ख़ुदा ग़ाफ़िल को अब
नाज़नीं से इश्क़ के इज़हार का
-‘ग़ाफ़िल’
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