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ग़ाफ़िल
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
सी. बी. मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
Sunday, November 22, 2015
गर तेरी आँखों का पैमाना न होगा
मै न होगी और मैख़ाना न होगा
गर तेरी आँखों का पैमाना न होगा
जुल्म यह के रुख़्सती है तै यहाँ से
और फिर वापस मेरा आना न होगा
-‘ग़ाफ़िल’
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