वो बताए तो भला क्या जाए
पास मेरे वो अगर आ जाए
मुझको बोले हो अगर आने को
उसको भी यार बुलाया जाए
दिक्कतें मैंने सहीं छोड़ो भी
क्यूँ ज़माने को लपेटा जाए
आशिक़ी तो है इबादत यारो
क्यूँ न इस तर्ह भी सोचा जाए
ख़ूब हो पर न हो महबूब का अक्स
बुत कोई यूँ न तराशा जाए
मुझको तारीफ़ की चाहत न ज़रा
पर न यूँ हो के न देखा जाए
काम ग़ाफ़िल न करो यूँ के तुम्हें
हर तरफ़ से ही लताड़ा जाए
पास मेरे वो अगर आ जाए
मुझको बोले हो अगर आने को
उसको भी यार बुलाया जाए
दिक्कतें मैंने सहीं छोड़ो भी
क्यूँ ज़माने को लपेटा जाए
आशिक़ी तो है इबादत यारो
क्यूँ न इस तर्ह भी सोचा जाए
ख़ूब हो पर न हो महबूब का अक्स
बुत कोई यूँ न तराशा जाए
मुझको तारीफ़ की चाहत न ज़रा
पर न यूँ हो के न देखा जाए
काम ग़ाफ़िल न करो यूँ के तुम्हें
हर तरफ़ से ही लताड़ा जाए
-‘ग़ाफ़िल’
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