Saturday, May 07, 2016

मुझको भले निशाना कर लो

मुझ तक आना-जाना कर लो
इतना तो मनमाना कर लो

इश्क़ मुझी से होना तै है
चाहे लाख बहाना कर लो

तुम भी मजनूं हो जाओगे
बस मुझसे याराना कर लो

मेरी आँखें मैख़ाना हैं
जी अपना मस्ताना कर लो

कभी तो छूटे तीर नज़र का
मुझको भले निशाना कर लो

शौके सुख़न है गर ग़ाफ़िल जी
इक उस्ताद पुराना कर लो

-‘ग़ाफ़िल’

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