ठीक है व्यापार होना चाहिए
फिर भी लेकिन प्यार होना चाहिए
मुझको आने को बतौरे चारागर
कोई तो बीमार होना चाहिए
आप हों या मैं मगर इस बाग़ का
एक पहरेदार होना चाहिए
दरमियाने दिल है तो फ़िलवक़्त ही
प्यार का इज़हार होना चाहिए
शर्म तो आती है फिर भी एक बार
चश्म तो दो चार होना चाहिए
हम न मिल पाएँ भले पर जी में रब्त
दोस्त आख़िरकार होना चाहिए
अब तो ग़ाफ़िल हौसिले का अपने रुख़
चाँद के भी पार होना चाहिए
-‘ग़ाफ़िल’
फिर भी लेकिन प्यार होना चाहिए
मुझको आने को बतौरे चारागर
कोई तो बीमार होना चाहिए
आप हों या मैं मगर इस बाग़ का
एक पहरेदार होना चाहिए
दरमियाने दिल है तो फ़िलवक़्त ही
प्यार का इज़हार होना चाहिए
शर्म तो आती है फिर भी एक बार
चश्म तो दो चार होना चाहिए
हम न मिल पाएँ भले पर जी में रब्त
दोस्त आख़िरकार होना चाहिए
अब तो ग़ाफ़िल हौसिले का अपने रुख़
चाँद के भी पार होना चाहिए
-‘ग़ाफ़िल’
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (15-01-2017) को "कुछ तो करें हम भी" (चर्चा अंक-2580) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'