कोई सीने से अगर लगता है
जी मेरा सीना बदर लगता है
तूने तो की थी दुआ फिर भी मगर
ओखली में ही ये सर लगता है
पास आ जा के हरारत हो ज़रा
सर्द सी रात है डर लगता है
अपने इस तीरे नज़र पर फ़िलहाल
तू लगाया है ज़हर, लगता है
लाख कोशिश पे सुधर पाया न मैं
मुझपे तेरा ही असर लगता है
रोज़ अख़्बारों में आने से तेरे
ज्यूँ तू मुरझाई ख़बर लगता है
-‘ग़ाफ़िल’
जी मेरा सीना बदर लगता है
तूने तो की थी दुआ फिर भी मगर
ओखली में ही ये सर लगता है
पास आ जा के हरारत हो ज़रा
सर्द सी रात है डर लगता है
अपने इस तीरे नज़र पर फ़िलहाल
तू लगाया है ज़हर, लगता है
लाख कोशिश पे सुधर पाया न मैं
मुझपे तेरा ही असर लगता है
रोज़ अख़्बारों में आने से तेरे
ज्यूँ तू मुरझाई ख़बर लगता है
-‘ग़ाफ़िल’
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