न भुन पाए फिर भी भुनाता रहेगा
तू अपना हुनर आजमाता रहेगा
बड़ा खब्बू टाइप का है यार तू तो
क्या भेजा मेरा यूँ ही खाता रहेगा
बताएगा भी अब के तुझको हुआ क्या
मुहर्रम के या गीत गाता रहेगा
फिसड्डे क्या अपनी फिसड्डी सी रातें
जलाकर जिगर जगमगाता रहेगा?
ये ग़ाफ़िल है कोई इसे रोको वर्ना
अगर आ गया, बड़बड़ाता रहेगा
-‘ग़ाफ़िल’
तू अपना हुनर आजमाता रहेगा
बड़ा खब्बू टाइप का है यार तू तो
क्या भेजा मेरा यूँ ही खाता रहेगा
बताएगा भी अब के तुझको हुआ क्या
मुहर्रम के या गीत गाता रहेगा
फिसड्डे क्या अपनी फिसड्डी सी रातें
जलाकर जिगर जगमगाता रहेगा?
ये ग़ाफ़िल है कोई इसे रोको वर्ना
अगर आ गया, बड़बड़ाता रहेगा
-‘ग़ाफ़िल’
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