जाम आँखों से पिलाने कौन आएगा
इक सिवा तेरे दीवाने कौन आएगा
ठीक है कर ले तग़ाफ़ुल ऐ ज़माने तू
सोचना पर आज़माने कौन आएगा
सुर्ख़ियों में नाम मेरा आ गया पर अब
सुर्ख़ आँखों से बचाने कौन आएगा
जा रहा जो दिल दयारां से, जा बंजारे!
फ़र्क़ क्या दिल तोड़ जाने कौन आएगा
आज फिर सैलाब सा है दिल के दर्या में
देखता हूँ डूब जाने कौन आएगा
तेरी ताबानी-ए-रुख़ गर कम हुई तो जी
एक ग़ाफ़िल का जलाने कौन आएगा
-‘ग़ाफ़िल’
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