मेरे भी सामने खुलकर कभी आया जाए
आतिशे हुस्न से मुझको भी जलाया जाए
इश्क़बाज़ों को बुरे अच्छे का हो इल्म ही क्यूँ
हमपे अब और न इल्ज़ाम लगाया जाए
खा क़सम कर ही दिया प्यार की इक रस्म अदा
तू बता और है क्या यूँ भी जो खाया जाए
है किसे होश यहाँ पी के नज़र वाली शराब
अब कोई और नशेबाज़ बुलाया जाए
जो भी ग़ुमराह किया करते हैं वो हैं अपने
यह सबक याद है कुछ और बताया जाए
रहबरी कर तो मैं सकता हूँ अपाहिज़ की भी
शर्त यह है के उसे राह पे लाया जाए
चैन जी को है मिले उसके ही दर ग़ाफ़िल जी
किस बहाने से मगर सोचिए जाया जाए
-‘ग़ाफ़िल’
आतिशे हुस्न से मुझको भी जलाया जाए
इश्क़बाज़ों को बुरे अच्छे का हो इल्म ही क्यूँ
हमपे अब और न इल्ज़ाम लगाया जाए
खा क़सम कर ही दिया प्यार की इक रस्म अदा
तू बता और है क्या यूँ भी जो खाया जाए
है किसे होश यहाँ पी के नज़र वाली शराब
अब कोई और नशेबाज़ बुलाया जाए
जो भी ग़ुमराह किया करते हैं वो हैं अपने
यह सबक याद है कुछ और बताया जाए
रहबरी कर तो मैं सकता हूँ अपाहिज़ की भी
शर्त यह है के उसे राह पे लाया जाए
चैन जी को है मिले उसके ही दर ग़ाफ़िल जी
किस बहाने से मगर सोचिए जाया जाए
-‘ग़ाफ़िल’
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