आदाब अर्ज़ है!
हुस्न भी गो प्यार की है बात करता
पर लगे है बात उसकी दोगली है
और पत्थर सह नहीं पाऊँगा तो फिर
क्यूँ उधर जाऊँ जिधर उसकी गली है
-‘ग़ाफ़िल’
हुस्न भी गो प्यार की है बात करता
पर लगे है बात उसकी दोगली है
और पत्थर सह नहीं पाऊँगा तो फिर
क्यूँ उधर जाऊँ जिधर उसकी गली है
-‘ग़ाफ़िल’
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