जो हो मेरा हो मेरे ही बाबत वही नहीं
यह तो है बस फ़रेब कोई दिल्लगी नहीं
गोया मैं ठीक ठाक हूँ अबके बहार में
हाँ तेरी याद है के जो अब तक गई नहीं
तेरी निग़ाहे लुत्फ़ है ग़ैरों के सिम्त अब
लगता है तुझको मेरी ज़ुरूरत रही नहीं
छूटी तो चार सू से ही गोली ज़ुबान की
मैं ही ज़रा कठोर था मुझको लगी नहीं
हर बार तेरे शह्र की इस भेंड़ चाल से
लगता है ये है आदमी की बस्तगी नहीं
पहले पहल है तू है परीशाँ इसीलिए
शिक़्वा-ए-बेवफ़ाई की मुझको कमी नहीं
ग़ाफ़िल करे तू शामो सहर शाइरी मगर
जी में लगे न तीर सी वह शाइरी नहीं
-‘ग़ाफ़िल’
यह तो है बस फ़रेब कोई दिल्लगी नहीं
गोया मैं ठीक ठाक हूँ अबके बहार में
हाँ तेरी याद है के जो अब तक गई नहीं
तेरी निग़ाहे लुत्फ़ है ग़ैरों के सिम्त अब
लगता है तुझको मेरी ज़ुरूरत रही नहीं
छूटी तो चार सू से ही गोली ज़ुबान की
मैं ही ज़रा कठोर था मुझको लगी नहीं
हर बार तेरे शह्र की इस भेंड़ चाल से
लगता है ये है आदमी की बस्तगी नहीं
पहले पहल है तू है परीशाँ इसीलिए
शिक़्वा-ए-बेवफ़ाई की मुझको कमी नहीं
ग़ाफ़िल करे तू शामो सहर शाइरी मगर
जी में लगे न तीर सी वह शाइरी नहीं
-‘ग़ाफ़िल’
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