Tuesday, June 26, 2018

मेरे अरमाँ तेरी यादों से जब भी बात करते हैं

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कभी हँसकर कभी गाकर कभी जोरों से झुँझलाकर
न जाने बह्र में किस, बात की शुरुआत करते हैं
तबस्सुम और आँसू बाँधते हैं क्या समां उस दम
मेरे अरमाँ तेरी यादों से जब भी बात करते हैं

-‘ग़ाफ़िल’

3 comments:

  1. वाह जनाब बहुत खूब

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-06-2018) को "मन को करो विरक्त" ( चर्चा अंक 3014) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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