Tuesday, April 26, 2016

सुनो! बस हुक़्म दो! चाहोगे जो, बेहतर दिखा देंगे

जो यह पूछे हो के हम इश्क़ में क्या कर दिखा देंगे
सुनो! बस हुक़्म दो! चाहोगे जो, बेहतर दिखा देंगे
हैं ग़ाफ़िल तो मगर इतने भी हम ग़ाफ़िल नहीं हैं के
तुम्हारी तिश्नगी हो और हम सागर दिखा देंगे

-‘ग़ाफ़िल’

5 comments:

  1. स्वीकार भी अस्वीकार भी कसमकस इश्के खासियत हमारी ।
    मौहब्बत रागिनी फिर विरह दिल जख्म न दे गुजारिश हमारी ।।
    बहुत गजब का अंदाज ।आभार ।

    ReplyDelete
  2. वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह लाजवाब

    ReplyDelete