सब्ज़ शजर को अंगारों से क्या लेना
एक बाग़बाँ को आरों से क्या लेना
भौंरे तो गुल का रस लेते हैं उनको
ऐ गुलाब तेरे ख़ारों से क्या लेना
चश्म देख सकते हैं फ़क़त बदन सबके
उनको सबके किरदारों से क्या लेना
लाख बनाता रहे राइफ़ल पिस्टल तू
उल्फ़त में इन हथियारों से क्या लेना
है रसूल देने वाला जब, फिर मुझको
दिल के मुफ़्लिस दरबारों से क्या लेना
हूँ मुरीद तेरा मौला, तू हुक़्म करे
मुझको तेरे हरकारों से क्या लेना
सुह्बत सेहतमंदों की होती अच्छी
ग़ाफ़िल दिल के बीमारों से क्या लेना
-‘ग़ाफ़िल’
एक बाग़बाँ को आरों से क्या लेना
भौंरे तो गुल का रस लेते हैं उनको
ऐ गुलाब तेरे ख़ारों से क्या लेना
चश्म देख सकते हैं फ़क़त बदन सबके
उनको सबके किरदारों से क्या लेना
लाख बनाता रहे राइफ़ल पिस्टल तू
उल्फ़त में इन हथियारों से क्या लेना
है रसूल देने वाला जब, फिर मुझको
दिल के मुफ़्लिस दरबारों से क्या लेना
हूँ मुरीद तेरा मौला, तू हुक़्म करे
मुझको तेरे हरकारों से क्या लेना
सुह्बत सेहतमंदों की होती अच्छी
ग़ाफ़िल दिल के बीमारों से क्या लेना
-‘ग़ाफ़िल’
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