रही जो थोड़ी अब उस आन बान से भी गया
मैं तेरे इश्क़ में धरमो ईमान से भी गया
मक़ाम ख़ुल्द था पर हाय री मेरी किस्मत
मैं अपने ज़िस्म के कच्चे मक़ान से भी गया
-‘ग़ाफ़िल’
मैं तेरे इश्क़ में धरमो ईमान से भी गया
मक़ाम ख़ुल्द था पर हाय री मेरी किस्मत
मैं अपने ज़िस्म के कच्चे मक़ान से भी गया
-‘ग़ाफ़िल’
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