मेरा कुनबा भला टुकड़ों में क्यूँ सरकार करते हैं
वही तो आप भी करते हैं जो गद्दार करते हैं
सगे भाई ही हैं हम जाति मजहब से न कुछ लेना
हम इक दूजे को जाँ से भी ज़ियाद: प्यार करते हैं
कहाँ हम हिज्र के आदी हैं अब तक वस्ल है अपना
बिछड़ने को हमें मज़्बूर ही क्यूँ यार करते हैं
चला जाता नहीं है वैसे भी इन आबलों के पा
इधर हैं आप जो रस्ता हर इक पुरख़ार करते हैं
सनम का साथ भी छूटा ख़ुदा भी मिल नहीं पाया
फ़क़त रुस्वाइयों का आप कारोबार करते हैं
चमन अपना ये हिन्दुस्तान है ख़ुश्बूओं का जमघट
इसे आप अपनी करतूतों से बदबूदार करते हैं
भले ग़ाफ़िल हैं लेकिन नासमझ हरगिज़ नहीं हैं हम
समझ सकते हैं मालिक आप जो व्यापार करते हैं
-‘ग़ाफ़िल’
वही तो आप भी करते हैं जो गद्दार करते हैं
सगे भाई ही हैं हम जाति मजहब से न कुछ लेना
हम इक दूजे को जाँ से भी ज़ियाद: प्यार करते हैं
कहाँ हम हिज्र के आदी हैं अब तक वस्ल है अपना
बिछड़ने को हमें मज़्बूर ही क्यूँ यार करते हैं
चला जाता नहीं है वैसे भी इन आबलों के पा
इधर हैं आप जो रस्ता हर इक पुरख़ार करते हैं
सनम का साथ भी छूटा ख़ुदा भी मिल नहीं पाया
फ़क़त रुस्वाइयों का आप कारोबार करते हैं
चमन अपना ये हिन्दुस्तान है ख़ुश्बूओं का जमघट
इसे आप अपनी करतूतों से बदबूदार करते हैं
भले ग़ाफ़िल हैं लेकिन नासमझ हरगिज़ नहीं हैं हम
समझ सकते हैं मालिक आप जो व्यापार करते हैं
-‘ग़ाफ़िल’
मेरा कुनबा भला टुकड़ों में क्यूँ सरकार करते हैं
ReplyDeleteवही तो आप भी करते हैं जो गद्दार करते हैं
सगे भाई ही हैं हम जाति मजहब से न कुछ लेना
हम इक दूजे को जाँ से भी ज़ियाद: प्यार करते हैं
भले ग़ाफ़िल हैं लेकिन नासमझ हरगिज़ नहीं हैं हम
समझ सकते हैं मालिक आप जो व्यापार करते हैं!!!!! क्या बात है आदरणीय बहुत ही धारदार लिख दिया आपने | हार्दिक शुभकामनायें |