हर कोई बात क्यूँ ख़ुदा जाने
क्यूँ न इंसान भी ज़रा जाने
मुझको इक बार याद कर लेता
मैं भी आ जाता यार क्या जाने
मेरी बू तो फ़ज़ाओं में है सभी
शुक्र है मुझको दिलजला जाने
ग़म तो ये है के लोग मुझसे कहीं
जाने क्यूँ मेरा मर्तबा जाने
ग़ाफ़िल आएगा क़त्ल होने को कौन
जब वो इल्मो हुनर तेरा जाने
-‘ग़ाफ़िल’
क्यूँ न इंसान भी ज़रा जाने
मुझको इक बार याद कर लेता
मैं भी आ जाता यार क्या जाने
मेरी बू तो फ़ज़ाओं में है सभी
शुक्र है मुझको दिलजला जाने
ग़म तो ये है के लोग मुझसे कहीं
जाने क्यूँ मेरा मर्तबा जाने
ग़ाफ़िल आएगा क़त्ल होने को कौन
जब वो इल्मो हुनर तेरा जाने
-‘ग़ाफ़िल’
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