Friday, August 10, 2018

ख़याल इतना रहे लेकिन ज़ुरूरत भर पिघलना तुम

किसी से भी कभी भी मत किए वादे से टलना तुम
भले जलना पड़े ता'उम्र मेरे दिल तो जलना तुम

इधर चलना उधर चलना किधर चलना है क्या बोलूँ
जिधर भी जी करे उस ओर पर अच्छे से चलना तुम

मचलने का जो मन हो जाए सतरंगी तितलियों पर
न रोकूँगा दिले नादाँ मगर बेहतर मचलना तुम

सिफ़ारिश गर करे ख़ुद शम्अ कोई तो पिघल जाना
ख़याल इतना रहे लेकिन ज़ुरूरत भर पिघलना तुम

तुम्हें पहचान लूँ जब रू-ब-रू होऊँ कभी ग़ाफ़िल
है इस बाबत गुज़ारिश फिर नहीं चेहरा बदलना तुम

-‘ग़ाफ़िल’

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