नयी है राह पै मंजिल वही पुरानी है
नयी सी जिल्द में लिपटी वही कहानी है
नये से रूप में गिरधर भी है वही यारो
नये लिबास में मीरा वही दीवानी है
नया सा सुर है पै सरगम वही पुराना है
नयी सी ताल पे नचती वही जवानी है
न कुछ नया है पुराना भी कुछ नहीं है यहाँ
जुनूने रब्त है औ रब्त में रवानी है
ये शब भी वस्ल की ग़ाफ़िल है मुख़्तसर ही हुई
सहर ने बात ही कब अपनी यार मानी है
-‘ग़ाफ़िल’
नयी सी जिल्द में लिपटी वही कहानी है
नये से रूप में गिरधर भी है वही यारो
नये लिबास में मीरा वही दीवानी है
नया सा सुर है पै सरगम वही पुराना है
नयी सी ताल पे नचती वही जवानी है
न कुछ नया है पुराना भी कुछ नहीं है यहाँ
जुनूने रब्त है औ रब्त में रवानी है
ये शब भी वस्ल की ग़ाफ़िल है मुख़्तसर ही हुई
सहर ने बात ही कब अपनी यार मानी है
-‘ग़ाफ़िल’
यह शबे-वस्ल भी ग़ाफ़िल! है मुख़्तसर ही हुई,
ReplyDeleteमनचले सहर ने की फिर वही नादानी है।
क्या बात है मिश्रा जी ,बहुत खूब ,कमल की नज्म ,कमल के आप ,रचना और रचनाकार ,दोनों बेमिशाल ......शुक्रिया जी /
कभी गुस्ताखी शाम करती है -- उन्हें जाने की जल्दी ||
ReplyDeleteकभी सहर गुस्ताख हो जाती----करदे आने में जल्दी ||
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल....
ReplyDeleteनयी है राह पर मंजिल वही पुरानी है।
ReplyDeleteफिर नये ज़िल्द में लिपटी वही कहानी है॥
Bahut Sunder
नया सा सुर तो है, सरगम वही पुराना है,
ReplyDeleteनयी सी ताल पर नचती वही जवानी है।
इस नये दौर की अब नई हर कहानी है
बहुत ही शानदार गज़ल्।
ReplyDeleteवाह..!!
ReplyDeleteबेहद उम्दा और शानदार गजल ..
ReplyDeletewah!!!!!!kya baat kahi aapane...bahut khoob..
ReplyDeleteबहुत उम्दा गजल... आभार !
ReplyDeleteशानदार....
ReplyDeleteसादर...
वाह्…………बहुत सुन्दर ख्याल्।
ReplyDeleteक्या बात कही है ...
ReplyDeleteमनचले सहर ने की फिर वही नादानी है।
यह शबे-वस्ल भी ग़ाफ़िल! है मुख़्तसर ही हुई,
ReplyDeleteमनचले सहर ने की फिर वही नादानी है।
मकते पर अलग से दाद , मुबारक हो
नया सा सुर तो है, सरगम वही पुराना है,
ReplyDeleteनयी सी ताल पर नचती वही ज aवानी है।..बहुत खूब अंदाज़ आपके ,खूबसूरत अशआर आपके अच्छा लगता है आपके ब्लॉग पे आके . ...जय अन्ना !जय भारत .! हमारे वक्त की आवाज़ अन्ना ,सरकार का ताबूत बनके रहेगा अन्ना . .
बुधवार, २४ अगस्त २०११
मुस्लिम समाज में भी है पाप और पुण्य की अवधारणा ./
http://veerubhai1947.blogspot.com/
Wednesday, August 24, 2011
योग्य उत्तराधिकारी की तलाश .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
इक नये रूप में गिरधर भी वही है यारों,
ReplyDeleteनये लिबास में मीरा वही दीवानी है ...
बहुत खूब ... लाजवाब शेर है ... खूबसूरत अंदाज़ है इस नए रूप के शेर का ...
वाह क्या बात है ! बहुत सुन्दर ! पूरी ग़ज़ल उम्दा है !
ReplyDeletebht khubsurat gzal h apki....bht khubsurat gzal h apki....
ReplyDeletehm apki gazal k kayal h janab....hm apki gazal k kayal h janab....
ReplyDeleteवाह्…………बहुत सुन्दर लाजवाब
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉगों में आये आये तो और भी ज्यादा ख़ुशी होगी मुझे भी अगर आप यहाँ की सदस्यता ले तो....
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