Thursday, August 11, 2011

सजनवा तू भी तो कुछ बोल


(मौन की महिमा तो निराली है ही किन्तु समय पर न बोलना भी कितना घातक हो जाता है यह बात सहज स्वीकार्य है। मेरी यह प्रविष्टि इससे पूर्व की प्रविष्टि ‘मौन-महिमा’ पर आई तमाम ऐसी प्रतिक्रियाओं, जिससे प्रतिक्रियाकर्ता के मौन साधने का उपक्रम ज़ाहिर होता है, का प्रतिफलन है)

सजनवा तू भी तो कुछ बोल,
तू क्यूँ होके मौन है बैठा, बोल न मिलती मोल।
                                                                सजनवा तू भी...
देख तो यह जग बोल रहा है, अपनी-अपनी खोल रहा है,
कुछ तेरे भी मन में होगा, मन की गाँठें खोल।
                                                               सजनवा तू भी...
ना बोला तो जग बोलेगा, इस दुनिया में बिस घोलेगा,
अब ललकार दे बाचालों को, अब बतियाँ ना तोल।
                                                                सजनवा तू भी...

ग़ाफ़िल! ओंठ खुलें अब तेरे, लघुता-मरजादा के घेरे
कब तक बाँध रखेंगे तुझको, अब ये बन्धन खोल।
                                                                सजनवा तू भी...
                                                                                     -ग़ाफ़िल

33 comments:

  1. अब तो बिन बोले नही रहा जाता...उम्दा "अमौन महिमा"...

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  2. लोक से जुड़ा हुआ बहुत प्यारा गीत है गाफ़िल जी। वधाई आपको। "दुनियाँ " को दुनिया कर दीजिये क्योंकि "दुनियाँ" अशुद्ध शब्द है।

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  3. अब भी अपनी पहले के मत पर क़ायम हूं ...

    शब्द तो शोर है तमाशा है,
    भाव के सिंधु में बताशा है।
    मर्म की बात होठ से न कहो,
    मौन ही भावना की भाषा है।

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  4. वाह ...बहुत खूब कहा है ..।

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  5. देख तो यह जग बोल रहा है, अपनी-अपनी खोल रहा है,
    कुछ तेरे भी मन में होगा, मन की गाँठें खोल।
    बहुत अच्छी रचना..वाह!!!!

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  6. cheen kar alfaaj mere poochte ho chup rahne ki vajha kya hai!
    kuch bolun ya maun rahun bata teri raja kya hai!!
    dono hi soorat me bahut khoosrat likha hai.aapko badhaai.

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  7. क्या बात है, बहुत सुंदर
    गाना याद आ गया

    सजनवा बैरी हो गए हमार.....

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  8. ना बोला तो जग बोलेगा, इस दुनिया में बिस घोलेगा,
    अब ललकार दे बाचालों को, अब बतियाँ ना तोल।bahut sahi...

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  9. बहुत सुंदर अभिब्यक्ति /बधाई आपको

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  10. सुन्दर रचना।

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  11. कब तक मौन.....बढ़िया!!

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  12. मन की गांठे खोल, सजनवा तू भी तो कुछ बोल....
    वाह बड़े भईया... आनंद आ गया इस सुन्दर गीत को पढ़...
    सादर...

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  13. जहाँ बोलना ज़रूरी हो वहां चुप रहना अन्याय है .

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  14. ये सजनवा खुल के बोलने वाला नही जब तक आप खुल के नही लिखेंगे सीधे सीधे बोलिये गेट वेल सून

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  15. बहुत सुन्दर, खूबसूरत

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  16. सजनवा तू तो बोल पर मत खोल्रो मेरी पोल

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  17. ग़ाफ़िल! ओंठ खुलें अब तेरे, लघुता-मरजादा के घेरे
    कब तक बाँध रखेंगे तुझको, अब ये बन्धन खोल।

    वाह ...बहुत खूब !
    आनंद आ गया ...

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  18. ना बोला तो जग बोलेगा, इस दुनिया में बिस घोलेगा,
    अब ललकार दे बाचालों को, अब बतियाँ ना तोल

    sundar post...dhanyawaad..:)

    http://aarambhan.blogspot.com/2011/08/blog-post_12.html

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  19. आपको रक्षा बंधन की बधाई
    मन की बात अगर अंदर ही रह जाए तो ...क्या उर्जा धनात्मक होगी या रिन्तात्मक ...यह खोज का विषय है

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  20. सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...

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  21. रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.

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  22. रक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !

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  23. बहुत बढ़िया..वाह वाह..पिछली पोस्ट भी पढ़ी। मौन पर संग्रह करने योग्य छंद।..आभार आपका।

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  24. बढ़े आपके परमार्थ की कमाई, आपके क़द की उंचाई॥
    स्वतंत्रता-दिवस की मंगल-कामनाएं॥
    जय भारत!! जय जवान! जय किसान!!

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  25. बहुत ही भाव संसिक्त,रस माधुरी समेटे बड़े फलक का अद्भुत गीत . मन की गांठे खोल, सजनवा तू भी तो कुछ बोल....
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    रविवार, १४ अगस्त २०११
    संविधान जिन्होनें पढ़ा है .....


    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    Sunday, August 14, 2011
    चिट्ठी आई है ! अन्ना जी की PM के नाम !

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  26. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें.

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  27. ना बोला तो जग बोलेगा, इस दुनिया में बिस घोलेगा,
    अब ललकार दे बाचालों को, अब बतियाँ ना तोल

    बहुत ही सुंदर और प्रेरक गीत।

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  28. सजनवा तू भी तो कुछ बोल,
    तू क्यूँ होके मौन है बैठा, बोल न मिलती मोल।

    लाजवाब....
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें.

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  29. उम्दा पोस्ट बधाई मिश्र जी

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