कौन भला कहता है अब मत प्यार लिखो
अपने हिस्से का सारा संसार लिखो
गोया हमले हर सू से होते हैं पर
इश्क़ नहीं मर सकता, बारम्बार लिखो
गमे इश्क़ भी सबको हासिल होता क्या
इश्क़ नहीं होता है सर का भार लिखो
इश्क़ नहीं तो क्या खोया औ क्या पाया
इश्क़ बिना हर शै होती बेकार लिखो
पूरी क़ायनात के हर बासिन्दे को
सच्ची उल्फ़त की होती दरकार लिखो
इश्क़ मता-ए-कूचा मत समझे कोई
ख़ाक सजाएगा इसको बाज़ार लिखो
रोटी खाओ ख़ुदपसन्द की बेशक तुम
बात मुनासिब जो हो मेरे यार लिखो
पत्थरदिल जब तक बन मोम न बह जाए
लिक्खो ग़ाफ़िल तब तक तुम अश्आर लिखो
-‘ग़ाफ़िल’
अपने हिस्से का सारा संसार लिखो
गोया हमले हर सू से होते हैं पर
इश्क़ नहीं मर सकता, बारम्बार लिखो
गमे इश्क़ भी सबको हासिल होता क्या
इश्क़ नहीं होता है सर का भार लिखो
इश्क़ नहीं तो क्या खोया औ क्या पाया
इश्क़ बिना हर शै होती बेकार लिखो
पूरी क़ायनात के हर बासिन्दे को
सच्ची उल्फ़त की होती दरकार लिखो
इश्क़ मता-ए-कूचा मत समझे कोई
ख़ाक सजाएगा इसको बाज़ार लिखो
रोटी खाओ ख़ुदपसन्द की बेशक तुम
बात मुनासिब जो हो मेरे यार लिखो
पत्थरदिल जब तक बन मोम न बह जाए
लिक्खो ग़ाफ़िल तब तक तुम अश्आर लिखो
-‘ग़ाफ़िल’
बहुत उम्दा ग़ज़ल !
ReplyDeleteआभार कालीपद जी
Deleteवाह ! बहुत खूब..
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया अनीता जी
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