Tuesday, August 09, 2011

मौन-महिमा

(कई दिनों से ब्लॉग जगत 'मौन' पर कुछ ज्यादा ही मुखर हो गया है। सो सोचा कि मैं यदि मौन रहा तो इसे मेरी धृष्टता न मान ली जाय अतः लिख डाली मौन-महिमा पर कुछ लाइनें फटाफट। मौका-बेमौका अग़र आप इन्हें अमल में ले आएं तो शर्तिया बल्ले-बल्ले)

पेश है सूरते-हाल पर क़ाबिले-आजमाइश नुस्ख़ा 'मौन'

भाई यहि संसार महं, मौन मूल है जानि!
अवगुन जादा बोलना, मौन गुनन करि खानि॥
मौन गुनन करि खानि, सहज अग्यान छिपावै;
सन्मुख हों सुरसती, मौन तिनहुंक भरमावै।
'ग़ाफ़िल' कहैं अगर कटुभाषिनि मिलै लुगाई,
मौन बरत को साधि मस्त ह्वै रहिये भाई॥

एक बात और-
ग़ाफ़िल हूँ मेरी बात हँसी में उड़ाइए, ख़ुद पे यक़ीन हो तो मुस्कुराइए ज़नाब!
                                                                    -ग़ाफ़िल

32 comments:

  1. सुखी रहने का मूलमंत्र

    'ग़ाफ़िल' कहैं अगर कटुभाषिनि मिलै लुगाई,
    मौन बरत को साधि मस्त ह्वै रहिये भाई।

    ReplyDelete
  2. सही है मौनमोहन सिंग आपके पहले से शागिर्द नजर आते हैं

    ReplyDelete
  3. हर बार औरत पर ही क्यों कटाक्ष किये जाते है ........

    वैसे दोहे लिखे कमाल है आपने भाई जी

    anu

    ReplyDelete
  4. आपने तो मौन की महिमा बखान कर डाली पर मुझे कई बार लगता है कि क्यों बोल डाला?

    ReplyDelete
  5. मुआफ़ी चाहूँगा पर यह बात हर सेक्स पर लागू होती है अपने तरीके से बैठा लें। अब मैं पुरुष हूँ तो ऐसे लिख दिया। महिलाएं उल्टा समझ लें पुरुषों के लिए। वैसे मौन है गुण की खान। शुक्रिया अन्जू जी!

    ReplyDelete
  6. मौन तो होता ही गुणो की खान है।

    ReplyDelete
  7. मौन रहकर भी जीवन का सत्य कह दिया आपने...वाह!!

    ReplyDelete
  8. तभी तो कहा गया है गाफ़िल साहब -"एक चुप सौ को हरावे "और अंग्रेजी में -"सायलेंस इज गोल्डन ".एक व्यक्ति चुप हो जाए तो बहस चुक जाती है .
    विनोबा भावे का मौन व्रत मशहूर है और पूर्व भाषा ग्यानी नरसिम्हा राव जी तो कहलाते ही मौनी बाबा थे .
    'ग़ाफ़िल' कहैं अगर कटुभाषिनि मिलै लुगाई,
    मौन बरत को साधि मस्त ह्वै रहिये भाई॥
    मौन की महिमा अपरम- पार -मौन मेडिटेशन का द्वार .मौन से ऊर्जा संग्रहित होती है .एक सज्जन थे जब बीबी से तंग आजाते थे कहते देखो डीयर हम अपनी सी पर आगये तो तुम्हारी चुटिया पकडके .......पत्नी सिर्फ डीयर शब्द ग्रहण करतीं थीं ,मज़े से फल छील कर खाती रहतीं थीं .शुक्रिया गाफ़िल साहब कृपया यहाँ भी बिराजें -
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    Tuesday, August 9, 2011
    माहवारी से सम्बंधित आम समस्याएं और समाधान ....
    ...क्‍या भारतीयों तक पहुंच सकेगी जैव शव-दाह की यह नवीन चेतना ?
    Posted by veerubhai on Monday, August 8
    Labels: -वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई), Bio Cremation, जैव शवदाह, पर्यावरण चेतना, बायो-क्रेमेशन ttp://sb.samwaad.com/

    ReplyDelete
  9. उत्तम सीख बड़े भईया....
    सादर...

    ReplyDelete
  10. hahaha bahut manoranjan kiya Gafil ji.bahut dhanyavaad.

    ReplyDelete
  11. यकीं पूरा है इसलिए मुस्करा रहे हैं.

    ReplyDelete
  12. मौन गुनन करि खानि, सहज अग्यान छिपावै;
    सन्मुख हों सुरसती, मौन तिनहुंक भरमावै।

    Bahut Umda...

    ReplyDelete
  13. बात तो सही है पर यह मौन कहीं तूफान से पहले का तो नहीं ..........

    ReplyDelete
  14. Ek chup bhari pad jata hai.....
    Umdarachna....
    Jai hind jai bharat.....

    ;acha laga apke blog par aakar.Ek chup bhari pad jata hai.....
    Umdarachna....
    Jai hind jai bharat.....

    ;acha laga apke blog par aakar.

    ReplyDelete
  15. मौन और वाणी समयानुकूल ही ठीक है !

    ReplyDelete
  16. आदरणीय ग़ाफ़िल जी
    सादर अभिवादन !

    अवगुन जादा बोलना, मौन गुनन करि खानि॥
    क्या बात है … अच्छी कुंडली कही आपने … बधाई !


    रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  17. इस पर प्रतिक्रिया केवल मौन रह कर ही की जा सकती hai

    ReplyDelete
  18. क्या प्रतिक्रिया दूँ...आज में मौन हूँ...

    ReplyDelete
  19. आप सभी शुभचिन्तकों का बहुत-बहुत आभार, मैं देख रहा हूँ कि इस मौन महिमा पर (प्रतिफल स्वरूप) बहुत लोग मौन साध गये या साध रहे हैं सो लगता है कि अब बोलने पर कुछ लिखना पड़ेगा क्योंकि वाज़िब देश और काल में न बोलना भी कितना घातक और पाप का कारण होता है बात को सभी सहज ही जानते और मानते हैं। और क्या लिखूँ अब बोलने पर लिखूँगा

    ReplyDelete
  20. mishra ji vah kya bat hai ! aaj to satsayi yad aa gayi .....dekhan men chhotan lagen ghav ...../dhanyavad ji

    ReplyDelete
  21. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच

    ReplyDelete
  22. जीवन का सत्य कह दिया आपने...वाह !

    ReplyDelete
  23. bahut achha likha gafil ji . apka bahut bahut abhar .

    ReplyDelete