तू कहे तो छिप-छिपाकर देख लूँ
चाहता हूँ मैं तुझे पर देख लूँ
तू भी तड़पे वस्ल को मेरे कभी
क्या हो अच्छा मैं वो मंज़र देख लूँ
मौत आ जाने से पहले क्यूँ नहीं
मैं हुनर तेरा सितमगर देख लूँ
राहे उल्फ़त में, नहीं भटकूँ सो मैं
क्यूँ न नक़्शे-पा-ए-रहबर देख लूँ
रह गई ख़्वाहिश के तुझको इक दफा
यार ग़ाफ़िल आज़माकर देख लूँ
-‘ग़ाफ़िल’
चाहता हूँ मैं तुझे पर देख लूँ
तू भी तड़पे वस्ल को मेरे कभी
क्या हो अच्छा मैं वो मंज़र देख लूँ
मौत आ जाने से पहले क्यूँ नहीं
मैं हुनर तेरा सितमगर देख लूँ
राहे उल्फ़त में, नहीं भटकूँ सो मैं
क्यूँ न नक़्शे-पा-ए-रहबर देख लूँ
रह गई ख़्वाहिश के तुझको इक दफा
यार ग़ाफ़िल आज़माकर देख लूँ
-‘ग़ाफ़िल’
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