एक से एक ख़ूब सारे थे
दिल हमारा था और आरे थे
बात इतने पे आके ठहरी है
तुम हमारे के हम तुम्हारे थे
ख़ूब उफ़नते फड़कते सागर में
बेड़े हम भी कभी उतारे थे
हमको देखे भी पर न आया ख़याल
यह के हम उनको जी से प्यारे थे
क्यूँ न किस्मत सँवार पाए तेरी
जबके हम टूटे हुए तारे थे
बनके शोला भड़क उठे हैं सभी
जी में जो इश्क़ के शरारे थे
क्या क्या औ तौर किस कहें ग़ाफ़िल
आगे ख़्वाबों के क्या नज़ारे थे
-‘ग़ाफ़िल’
दिल हमारा था और आरे थे
बात इतने पे आके ठहरी है
तुम हमारे के हम तुम्हारे थे
ख़ूब उफ़नते फड़कते सागर में
बेड़े हम भी कभी उतारे थे
हमको देखे भी पर न आया ख़याल
यह के हम उनको जी से प्यारे थे
क्यूँ न किस्मत सँवार पाए तेरी
जबके हम टूटे हुए तारे थे
बनके शोला भड़क उठे हैं सभी
जी में जो इश्क़ के शरारे थे
क्या क्या औ तौर किस कहें ग़ाफ़िल
आगे ख़्वाबों के क्या नज़ारे थे
-‘ग़ाफ़िल’
बहुत खूब !!
ReplyDelete